Thursday, March 21, 2013

एक शाम देखी ...

एक दिन एक शाम देखी 
एक डूबता हुआ सूरज था, एक उभरता हुआ चाँद भी 
एक नीलिमा सी आसमान में बिखरी थी और थोड़ी लालिमा भी 
कुछ दिखाती हुई रौशनी थी, कुछ छुपाता हुआ अँधेरा भी 
कहने को तो दिन था, कहने को रात भी 
कुछ परिंदे उड़ते हुए घर लौट रहे थे, और कुछ इंसान भी 
सड़कों पर भीड़ थी, कहीं और खोया दिमाग भी 
एक मंदिर के घंटे की आवाज सुनाई दी, और एक अज़ान भी 
घर पहुंचा, जरा आराम मिला, और जरा काम भी,
मन थोडा खुश था और ज़रा परेशान भी 
कुछ कहती हुई, मिसेज थीं और कुछ सुनते हुए कान भी 
खिलखिलाते हुए बच्चे थे और चीखते हुए सामान (टी वी ) भी 
आती हुई नींद थी , जा चुकी थी शाम भी ...

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