Friday, February 15, 2013

इन्सान अक्सर भूल जाता है


हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

अगर मैं कुछ कर रहा हूँ अभी , कहीं और कोई और भी तो कुछ कर रहा होगा ,
ख़ुशी न मिले ना सही , दुःख से ही खुद को बहलाता है 
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

कभी जब चाहते हैं कुछ मुझसे मेरे अपने ,
और जब जरा अलग ही होते हैं मेरे सपने ,
जिंदगियों  के इस टकराव में , बेवजह मन में आँसू  बहाता  है 
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

आज सड़क पर एक पगली देखी
उसकी भी तो कभी कोई ज़िन्दगी रही होगी ,
उसने भी तो अपने दिल की बातें कभी किसी से कही  होंगी,
जब प्यार की सबसे ज्यादा जरुरत होती है,
तब ही कोई प्यार नहीं जताता है ,
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

खालीपन से सब परेशां होते हैं , इसलिए हर शख्स कुछ करना चाहता है ,
और अपने आप को मसरूफ रखने को,
इंसान कुछ भी कर-गुज़र   जाता है ,
पर हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

जिंदगियां चलती, दौड़ती, थमती, रहती हैं,
इन्ही जिंदगियों के बीच एक ज़िन्दगी बहती रहती है
जिंदगियां समझ सकती हैं जिंदगियों को ((इंसान समझ सकते हैं इंसानों को )
पर जाने क्यूँ , कोई किसी को कुछ नहीं बताता है,
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

खुद के लिए भी जीना जरुरी है ,
अपने पाँव के नीचे भी ज़मीन चाहिए ,
क्यूंकि दलदल में खड़े होकर ,
कोई सहारा नहीं बन पाता है,
मैं खुद भी तो एक ज़िन्दगी हूँ 
ये बात वो  अक्सर भूल जाता हैं।।।


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