Thursday, January 17, 2013

फासले क्यों ?

चाहें तो फासले कुछ भी नहीं,
फिर भी ये मिटते नहीं ..
चलते तुम भी हो यहीं,
चलते हम भी हैं यहीं।।

जाने कैसे दौर से गुज़र रहे हैं हम,
कि कुछ कहने से पहले सोचना पड़ता है ..
क्योंकि अक्सर महसूस होता है आजकल, 
तुमने जो  सोचा वो मैंने कहा नहीं।।

बहुत कुछ मिला है इस रिश्ते से ,
बहुत कुछ दिया है इस रिश्ते को ..
फिर भी परेशां रहता हूँ मैं ,
क्योंकि शायद इतना काफी नहीं।।

कुछ बातें हो तो मदद मिले, 
कुछ शिकायतें करो तो जवाब मिलें ..
पर हम दोनों को कुछ हो गया है शायद ,
देखो बातें भी ढंग से होती नहीं।।

जो हुआ और जो हो रहा है,
गलती हमारी है या खुदा की मर्जी है ? ..
डरता हूँ इस सवाल का जवाब मिलने तक ,
देर ना हो जाए कहीं।।

सब ठीक हो जाए बस यही चाहता हूँ ,
जानता  हूँ तुम भी यही चाहती हो ..
शाम को घर आने से पहले , 
चलो थोड़ी दूर निकल जाएँ कहीं।।

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