Thursday, March 21, 2013

कहें या ना कहें ...


कशमकश में पड़े रहे कि  कहे या ना कहें ..
.
नसों में दौड़ती हो तुम ,
और हम यूँ ही खड़े रहे 
 कि  कहें  या ना कहें ...

तुम्हारा साथ एक बेहतरीन वक़्त था ,
फिर ये क्या सोचते रहे 
 कि  कहें  या ना कहें ...

चाह बस तुमको ही था 
फिर क्यूँ हम डरते रहे 
 कि  कहें  या ना कहें ...

तुम्हारा ज़िक्र कहीं और न हो 
किसी से ना पूछा फिर 
 कि  कहें  या ना कहें ...

सोचा लिख कर ही बता दें 
कलम भी ये लिखती रही 
 कि  कहें  या ना कहें ...

कुछ पलों के सिर्फ कुछ लफ्ज़ थे 
बेवजह का दर्द सहते रहे 
 कि  कहें  या ना कहें ...

इनकार से तुम्हारे क्या हो जाता 
वैसे भी जीना था , वैसे भी जीते रहे 
 कि  कहें  या ना  कहें ...

सामने तुम और उलझन में हम 
क्या करते , मुस्कुराते रहे 
 कि  कहें  या ना  कहें ...

कुछ और लोग भी थे हमारे तुम्हारे बीच 
वो भी हमसे पूछा किये 
 कि  कहें  या ना  कहें ...

एक शाम देखी ...

एक दिन एक शाम देखी 
एक डूबता हुआ सूरज था, एक उभरता हुआ चाँद भी 
एक नीलिमा सी आसमान में बिखरी थी और थोड़ी लालिमा भी 
कुछ दिखाती हुई रौशनी थी, कुछ छुपाता हुआ अँधेरा भी 
कहने को तो दिन था, कहने को रात भी 
कुछ परिंदे उड़ते हुए घर लौट रहे थे, और कुछ इंसान भी 
सड़कों पर भीड़ थी, कहीं और खोया दिमाग भी 
एक मंदिर के घंटे की आवाज सुनाई दी, और एक अज़ान भी 
घर पहुंचा, जरा आराम मिला, और जरा काम भी,
मन थोडा खुश था और ज़रा परेशान भी 
कुछ कहती हुई, मिसेज थीं और कुछ सुनते हुए कान भी 
खिलखिलाते हुए बच्चे थे और चीखते हुए सामान (टी वी ) भी 
आती हुई नींद थी , जा चुकी थी शाम भी ...

Tuesday, March 19, 2013

गर मैं वो नहीं, तो कोई और नहीं ...


एक आवाज चाहिए ,
 जो जगाये सोते ज़मीर ,
गर तेरी आवाज नहीं 
तो किसी की नहीं 

कुछ अलफ़ाज़ चाहिए 
जो समझाएं , क्या है सही 
गर तेरे अलफ़ाज़ नहीं 
तो किसी के नहीं 

दो कदम   चाहिए 
चले गर तो चले ज़मीन 
गर तेरे कदम नहीं 
तो किसी के नहीं 

दो निगाहें चाहिए 
दिखाएँ जो ज़िन्दगी 
गर तेरी निगाह नहीं 
तो किसी की नहीं 

एक कन्धा चाहिए 
साथ रहे जो पास यहीं,
गर तेरे कंधे नहीं 
तो किसी के नहीं 

एक अकेला काफी है 
इतिहास बताता रहता है 
गर तू वो नहीं 
तो कोई और नहीं ...

 

Friday, February 15, 2013

खुद के लिए...


कुछ पल खुद के साथ, खुद के लिए 

जब विचारों पर धुंध छा जाए 
जब हौसले बिखरने लगे ,
जब किताबों के पन्ने बिना पढ़े ही पलटने लगें, 
जब खुद पर विश्वास ना रहे ,
जब सोच कुछ , समझ कुछ और बातें कुछ और हों,
जब खुद से ही घृणा होने लगे,
जब सपनो के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगने लगे, 
जब सपनो को पूरा करने की चाहतें अपना आधार खोने  लगें,
जब सपने और सच्चाइयाँ  आमने सामने हों और बीच में बस मैं ,
जब बचपन याद आने लगे ,
जब हाँथ बंधने लगें और कदम उड़ने लगें,
जब " ऐसा क्यों हुआ " बिना जवाब लौट आये,
जब कोई और मुझे मेरी याद दिलाये ,
जब बारिशों से भी नफरत होने लगे,
जब ज़िन्दगी बस गुज़र रही हो,
जब आज पर कल की परत हो,
जब ख़ुशी को तलाशना न हो, 

जब कुछ तय करना हो,
जब निर्णय को सोच बनाना हो ,
जब मुड़  कर ना  देखना हो,

हर पल खुद के साथ खुद के लिए।।। 

उड़ान...

मुस्कराहट है चेहरे पर , चमक रही ये नज़र 
उड़ रहा हूँ मैं अभी, गौर से देखो अगर ..

साथ नहीं चाहिए मुझे , अपनी ख़ुशी के लिए 
पा लिया है मैंने खुद को , कहती है मेरी  डगर  
उड़ रहा हूँ मैं अभी, गौर से देखो अगर ..

ज़मीन पर पाँव रखे हैं , ये ज़मीन भी मेरी है 
नाप दूंगा सारी दिशाएँ , ये भरोसा है खुद पर 
उड़ रहा हूँ मैं अभी, गौर से देखो अगर ..

यकीन नहीं करते थे लोग, बदल दिया उनके यकीन को ,
तारीफें थमती नहीं अब , किसी भी पल चारों पहर 
उड़ रहा हूँ मैं अभी, गौर से देखो अगर ..

उड़ान क्या होती है मुझसे पूछो 
पंखों में आसमान लिए फिरता हूँ 
चाह  बस यही दिल में अब 
उड़ता रहूँ शामो-सहर 
उड़ रहा हूँ मैं अभी, गौर से देखो अगर ..

हसरतें अभी थमी नहीं 
सपने और भी हैं अभी ,
लहरें थमती हैं साहिल पर 
देखो आई एक और लहर 
उड़ रहा हूँ मैं अभी, गौर से देखो अगर ..

तेरी ज़िन्दगी को तेरी जरुरत है ...


तू वो नहीं जो तेरा चला गया , तू वो नहीं जो तुझसे कहा गया,
तू वो नहीं जो औरों ने देखा ,मिटा अब अपने हांथों की रेखा ..

सिर्फ रेखाएं नहीं हांथों में , एक पूरी ज़िन्दगी है ,
खुद से सच बोल ज़रा, यही खुदा की बंदगी है ..

तू घाँस नहीं जिसे कुचलते हैं लोग , तू तो खुद ज़मीन है 
कोई मुकाबला नहीं तेरा , तू बेमिसाल है बेहतरीन है ..

तू जानता है कुछ है तुझमे 
ढूंढ , वो तुझमे ही है ,
एक लम्हा तेरा भी है इस दुनिया में 
तेरी  रूह को इसका यकीन है ..

तू दिल नहीं तू दिमाग नहीं , तू है ही कुछ और 
मिलेगा तू खुद से अगर, कर जरा खुद पर गौर.. 

कुछ पूछ अपने आप से ,जवाब मिलते हैं सवाल से , 
जो ढूंढ लेते हैं जवाब , वही होते हैं बेमिसाल से ..

"क्या किया है मैंने अब तक ? ", ये कोई सवाल नहीं ,
अगर बेहतर होना है तुझे ,हौसला रख, मलाल नहीं ..

फिर से लोग आ रहे हैं , भूल जा उन्हें , अभी , यहीं 
तू नहीं किसी के लिए अगर तू खुद के लिए नहीं .

शायद लोग कहें कि  ये आसान नहीं 
कह दे उनसे , " मैं इस से परेशान नहीं "
वो चलते हैं तुझे उड़ना है 
चलना आसान  होता है, उड़ान नहीं ..

ये चंद  बातें नहीं 
ये ज़िन्दगी की हकीकत है 
तू कह रहा है खुद से ये सब, क्यूंकि 
तेरी ज़िन्दगी को तेरी जरुरत है ...

तुमसे हैं...

तुम ख्यालों में हो अभी 
या ख़याल तुमसे हैं ? 

तुम पास नहीं , तुम्हारी खता नहीं,
फिर क्यूँ ये मलाल तुमसे है ?

जुल्फें लहराओ तो हवाएं चलें,
साँसें ये फिलहाल तुमसे हैं ,

अपने जवाब मैं जानता हूँ,
इसलिए अब कुछ सवाल तुमसे हैं ...

दिल बहलाने के लिए...


एक प्यार ज़िन्दगी के लिए काफी है ,बस यही बात है ज़माने को बताने के लिए,
वही दो आँखें काफी हैं , अपने दिलो-जहां लुटाने  के लिए

वो हाँथ थामकर उनका , भीनी हवाओं के साथ चलना ,
एक रात का साथ निभाने के लिए, वो धीरे धीरे एक राह पर टहलना ,
इस जहां से दूर, उस पार जाने के लिए

वो अक्सर छेड़ा करते हैं हमें, शायद खुद रूठ जाने ले लिए ,
आँखों में नींद लेकर जागते हैं फिर, हमसे ही खुद को मनवाने के लिए

ये सारी  हरकतें करते हैं अक्सर , ज़रा हमें सताने के लिए ,
रूठना , मनाना , चलना ,टहलना ,
सब हैं अपना प्यार जताने के लिए ...

प्यार जताना भी जरुरी है हमदम , घर को खूबसूरत बनाने के लिए ,
प्यार से बेहतर कोई गुल नहीं , अपना घर सजाने के लिए

प्यार अब तक किया नहीं , ये ख़याल थे अपना दिल बहलाने के लिए 
, ये ग़ज़ल लिख दी आज हमने , बस ज़रा चैन पाने के लिए ...


इन्सान अक्सर भूल जाता है


हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

अगर मैं कुछ कर रहा हूँ अभी , कहीं और कोई और भी तो कुछ कर रहा होगा ,
ख़ुशी न मिले ना सही , दुःख से ही खुद को बहलाता है 
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

कभी जब चाहते हैं कुछ मुझसे मेरे अपने ,
और जब जरा अलग ही होते हैं मेरे सपने ,
जिंदगियों  के इस टकराव में , बेवजह मन में आँसू  बहाता  है 
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

आज सड़क पर एक पगली देखी
उसकी भी तो कभी कोई ज़िन्दगी रही होगी ,
उसने भी तो अपने दिल की बातें कभी किसी से कही  होंगी,
जब प्यार की सबसे ज्यादा जरुरत होती है,
तब ही कोई प्यार नहीं जताता है ,
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

खालीपन से सब परेशां होते हैं , इसलिए हर शख्स कुछ करना चाहता है ,
और अपने आप को मसरूफ रखने को,
इंसान कुछ भी कर-गुज़र   जाता है ,
पर हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

जिंदगियां चलती, दौड़ती, थमती, रहती हैं,
इन्ही जिंदगियों के बीच एक ज़िन्दगी बहती रहती है
जिंदगियां समझ सकती हैं जिंदगियों को ((इंसान समझ सकते हैं इंसानों को )
पर जाने क्यूँ , कोई किसी को कुछ नहीं बताता है,
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,

खुद के लिए भी जीना जरुरी है ,
अपने पाँव के नीचे भी ज़मीन चाहिए ,
क्यूंकि दलदल में खड़े होकर ,
कोई सहारा नहीं बन पाता है,
मैं खुद भी तो एक ज़िन्दगी हूँ 
ये बात वो  अक्सर भूल जाता हैं।।।


कोई और फितूर नहीं



कभी कोई पास आया नहीं, इसलिए आज कोई दूर नहीं,
 तड़प रहा हूँ कहीं अकेले , आज मुझसा कोई मजबूर नहीं ...

 कभी ऐसा भी हुआ कहीं , जाने वाले लौट के आये नहीं ,
 ज़िन्दगी दोस्तों बिन कटी है ऐसे, जैसे जाम में कोई सुरूर नहीं...

एक चाहने वाला चिठ्ठी डाल  गया है , मिल लेता दो पल को , चिठ्ठी तो कोई दस्तूर नहीं ,
अपनी आवाज दे दो इस घर को अगर आपसा कोई हुजूर नहीं ,...

 पता है घर पर कोई नहीं, इसलिए घर जाना  तो जरूर नहीं
सड़कों पर टहल कर  भी क्या करें, सड़कों पर भी तो कोई नूर नहीं

क्या किया अपनी ज़िन्दगी का हमने , बताओ हमें खुद पर ही गरूर नहीं,
दिल शायरी से भरा बेहतर है , अच्छा है कोई और फितूर नहीं।।।

अंत में


धुंधली आँखों की चश्मों से लड़ाई ,
कमजोर कानो की चीखती आवाजों से लड़ाई ,
फूलती नसों की सिकुड़ती त्वचा से लड़ाई,
 कुछ मांगते हुए होंठों की जानबूझकर अनजान बनने से लड़ाई,
कांपते हुए हांथों की सहारा देती छड़ी से लड़ाई ,
थरथराते पांवों की अचल धरती से लड़ाई ,
 पास बुलाते हांथों की दूर जाते बच्चों से लड़ाई ,
 थोड़ी उम्मीद भरी आँखों की कुछ ज्यादा ही खफा निगाहों से लड़ाई ,
 कुछ लम्हों की ख़ुशी की घंटों लम्बी घुटन से लड़ाई ,
मन की हिम्मत की शरीर की थकावट से लड़ाई,
वाकई में ज़िन्दगी संघर्ष है, अपने अंत तक।।।

ज़िन्दगी चलती जाएगी...


गलतियाँ करते रहे अगर , शामें  ढलती जाएंगी ,   
ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी तो चलती जाएगी

 गलतियों का अगर दिखे असर , खुद को सुधार लो फ़ौरन,
 वरना बेवजह दुख की कालिख दिल में पलती जाएगी 
 ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी तो चलती जाएगी  ...

 दुनिया के सही गलत की परवाह ना करो , खुद से पूछो क्या हो तुम,
 और खुद को झुठलाया अगर , फिर ये दुनिया ही तुम्हे निगलती जाएगी
  ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी तो चलती जाएगी ...

 सपने वो आग देते हैं ज़िन्दगी जिस से होती है रौशन ,
 सपनो को पूरा ना किया अगर , तो बिना रौशनी दिए ही ज़िन्दगी की मोम पिघलती जाएगी
  ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी तो चलती जाएगी ...

रेत पर पल भर के लिखे जातें हैं निशान , इसी रेत से पर खड़े होते हैं कई मकान
 अब क्या करना है , ये फैसला कर लो हमदम , वरना वक़्त की ये रेत , हाँथ से फिसलती जाएगी
 ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी तो चलती जाएगी

 कल देखा जरा पीछे मुड़कर , लगा एक उम्र गुजर गयी ,
 फिर एहसास हुआ कि शायद बस ऐसे ही सारी  उम्र गुजरती जाएगी  
ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी तो चलती जाएगी ...