हर एक इन्सान एक
ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर भूल जाता है ,
अगर मैं कुछ कर रहा हूँ अभी , कहीं और कोई और भी तो कुछ
कर रहा होगा ,
ख़ुशी न मिले ना सही , दुःख से ही खुद को
बहलाता है
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर
भूल जाता है ,
कभी जब चाहते हैं कुछ मुझसे मेरे अपने
,
और जब जरा अलग ही होते हैं मेरे सपने ,
जिंदगियों के इस टकराव में , बेवजह मन में आँसू बहाता है
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर
भूल जाता है ,
आज सड़क पर एक पगली देखी ,
उसकी भी तो कभी कोई ज़िन्दगी रही होगी ,
उसने भी तो अपने दिल की बातें कभी
किसी से कही होंगी,
जब प्यार की सबसे ज्यादा जरुरत होती
है,
तब ही कोई प्यार नहीं जताता है ,
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर
भूल जाता है ,
खालीपन से सब परेशां होते हैं , इसलिए हर शख्स कुछ
करना चाहता है ,
और अपने आप को मसरूफ रखने को,
इंसान कुछ भी कर-गुज़र जाता है ,
पर हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर
भूल जाता है ,
जिंदगियां चलती, दौड़ती, थमती, रहती हैं,
इन्ही जिंदगियों के बीच एक ज़िन्दगी
बहती रहती है ,
जिंदगियां समझ सकती हैं जिंदगियों को ((इंसान समझ सकते हैं इंसानों को )
पर जाने क्यूँ , कोई किसी को कुछ
नहीं बताता है,
हर एक इन्सान एक ज़िन्दगी है , ये बात वो अक्सर
भूल जाता है ,
खुद के लिए भी जीना जरुरी है ,
अपने पाँव के नीचे भी ज़मीन चाहिए ,
क्यूंकि दलदल में खड़े होकर ,
कोई सहारा नहीं बन पाता है,
मैं खुद भी तो एक ज़िन्दगी हूँ
ये बात वो अक्सर भूल जाता
हैं।।।
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