कभी कोई पास आया
नहीं, इसलिए आज कोई दूर नहीं,
तड़प
रहा हूँ कहीं अकेले , आज मुझसा कोई मजबूर नहीं ...
कभी ऐसा भी हुआ कहीं , जाने वाले लौट के आये नहीं ,
ज़िन्दगी
दोस्तों बिन कटी है ऐसे, जैसे जाम में कोई सुरूर नहीं...
एक चाहने वाला चिठ्ठी डाल गया है , मिल लेता दो पल को , चिठ्ठी तो कोई
दस्तूर नहीं ,
अपनी आवाज दे दो इस घर को अगर , आपसा कोई हुजूर नहीं
,...
पता है घर पर कोई
नहीं, इसलिए घर जाना तो जरूर नहीं,
सड़कों पर टहल कर भी क्या करें, सड़कों पर भी तो कोई नूर नहीं…
क्या किया अपनी ज़िन्दगी का हमने , बताओ हमें खुद पर
ही गरूर नहीं,
दिल शायरी से भरा बेहतर है , अच्छा है कोई और
फितूर नहीं।।।
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